सच्ची भक्ति क्या है? क्यों ईश्वर हमारी प्रार्थनाओं का जवाब नहीं देता। इस कल्यूग में मैं क्या करूँ कि यीशु मेरी प्रार्थना को सुन ले?
प्रार्थना करना मतलब ईश्वर से बातचीत करना होता है। बातचीत अगर एक तरफा ही हो तो वो अजीब लगता है। पर वह अगर दोनों तरफ से हो तो बहुत अच्छा लगता है। सुनना और जवाब देना यह दोनों क्रिया बातचीत में होती है। जिसने यह दुनिया बनायी और तुम्हें – मुझे बनाया क्या वह हमें अनदेखा और अनसुना कर सकता है ? नहीं.. बिल्कुल नहीं। हमारी हर एक प्रार्थना सुनी जाती है। पर कौन सी प्रार्थना का कब जवाब देना है वह सिर्फ हमारा परमेश्वर पिता ही जानता है। क्योंकि हर एक बात के पीछे कुछ ना कुछ मकसद होता है। और हम इंसान कभी कभी इसे समझ नही पाते और परेशान होने लगते हैं। मेरी प्रार्थना क्यों नहीं सुनी जा रही है? क्या परमेश्वर मुझसे प्यार नहीं करता। या वह सिर्फ किन्हीं गिने चुने लोगो की ही प्रार्थना को सुनता है। ऐसे सैकड़ों सवाल मन औऱ दिमाग में घूमते हैं और परमेश्वर पर अविश्वास को पैदा करते हैं।
अतः: जब तुम बुरे होकर, अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएँ देना जानते हो, तो तुम्हारा स्वर्गीय पिता अपने माँगनेवालों को अच्छी वस्तुएँ क्यों न देगा?
मत्ती 7:11
यिर्मयाह 29:11
विश्वास बिना उसे प्रसन्न करना अनहोना है; क्योंकि परमेश्वर के पास आनेवाले को विश्वास करना चाहिए कि वह है, और अपने खोजनेवालों को प्रतिफल देता है।
इब्रानियों 11:6
सच में बाइबिल के वचन हमें कितना मदद करते हैं हमारे सवालों के जवाब के लिए। और यह जानने के लिये की हमें कैसे प्रार्थना करनी चाहिए। अगर आप और अधिक जानना चाहते हैं` तो हमसे नयी मंजिल के द्वारा (चैट ) बातचीत करे।
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