जहां ईश्वर का नाम आता है वहां प्रार्थना, भक्ति साधना, पूजा-अर्चना, उपवास का नाम भी आता है। और यह सारी चीजें उस एक नाम के साथ जुड़ी हैं – “ईश्वर”।आज हम उपवास और प्रार्थना के बारे में बात करेंगे ।
उपवास और प्रार्थना को ईश्वर के साथ संगति और उसकी ओर ध्यान केंद्रित करने के लिए जाना जाता है। प्रार्थना और उपवास का एक समर्पित समय होना कोई प्रक्रिया नहीं है जिससे ईश्वर हमारी मनोकामनाओं को पूरा करें बल्कि उपवास और प्रार्थना के द्वारा हम परमेश्वर पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जिससे हमें बल, बुद्धि और हमारी ज़रूरतें पूरी होने में हमें मदद मिलती है। उपवास और प्रार्थना से हम ईश्वर पर पूरी तरह से निर्भर हो जाते हैं और प्रार्थना से परमेश्वर के करीब आते हैं।
कुछ देशो मे उपवास और प्रार्थना को प्रायश्चित के दिन के रूप मे देखा गया है जब सब लोग मिलकर अपने पापो से मन फिराते और अपने जीवनो को ईश्वर को सम्रपित करते हैं – इस रिवाज़ को “उपवास का दिन” कहा गया। इसराइली सभ्यता में उपवास और प्रार्थना को सिर्फ प्रायश्चित के लिए ही इस्तेमाल नहीं किया गया बल्कि अलग अलग विषयों के लिए उपवास और प्रार्थना की गई जैसे –
और धीरे-धीरे आप अपने उपवास को बढ़ा सकते हैं पहले आप कुछ घंटों का उपवास कर रहे थे अब आप सुबह से शाम का उपवास कर सकते हैं और धीरे-धीरे 3 दिन का उपवास, 1 हफ्ते का उपवास, 40 दिन का उपवास, 30 दिन का उपवास इस तरह से कर सकते हैं।
यदि आप इस तरह से उपवास और प्रार्थना करेंगे तो बहुत जल्द आप उन विषयों को पूरा होता हुआ देखेंगे जिसके लिए आप उपवास कर रहे हैं।
आप उपवास और प्रार्थना के विषय में और गहराई से जानना चाहते हैं तो आप हमें संपर्क कर सकते हैं। आओ चलें इस नयीमंज़िल पे।
क्या आप बिना कुछ काम किए भी हर समय थका हुआ महसूस करते हो? कई…
आपने अपनी मनोकामना को पूरी करने के लिए क्या क्या किया है? हम अपनी मनोकामना…
प्यार के बिना ज़िंदगी का कोई मतलब नहीं है पर यह भी सच है कि…
“क़िस्मत का लिखा कोई नहीं मिटा सकता।” “ये तो नसीबों की बात है।” क्या हमारी…
ये बात सच है कि "कल किसने देखा है" पर भविष्य की तैयारी और योजना…
ट्रैन पटरी से उतरने की दुर्घटना में, घायल हुए 1000 से भी ज़्यादा लोग। इस…