भारत एक ऐसा देश है जिसने अपनी संस्कृति, परंपरा और विविध धर्म और धार्मिक आस्था से अपनी पहचान बनाई है। भारत को एक धार्मिक केंद्र के तौर पर भी दुनिया में जाना जाता है। हमारे देश में लगभग 33 करोड़ देवी देवताओं को पूजा जाता है। पर फिर भी यह बहुत से लोगों के लिए एक रहस्य वाली बात है कि आखिर सच्चा परमेश्वर, ईश्वर कौन है।
क्या होगा अगर अचानक कोई चीज धरती से टकरा जाए! मेरी चारों और ब्रह्मांड में क्या घूम रहा है? मैं कहां से आया हूँ? परमेश्वर का क्या अस्तित्व है? मेरा परमेश्वर से क्या रिश्ता है? क्या यह सारे सवाल आपको भी सताते हैं?
अगर हम अपने आस-पास सारी सृष्टि को देखें तो आश्चर्य से कम नहीं लगता। बाइबिल के अनुसार आपकी और मेरी रचना सबसे अदभुत तरीके से हुई है। हमें सबसे अकलमंद और सब जीवित प्राणियों में श्रेष्ठ और परमेश्वर की छवि में बनाया है। प्राण तो जानवर में भी होते हैं पर हम में एक आत्मा भी होती है जो कभी नहीं मरती, और इस सब के पीछे भी एक मास्टरमाइंड होना अनिवार्य हो जाता है! बहुत से लोग जो परमेश्वर को नहीं मानते, कहते हैं कि यह सब कुछ एक धमाके से ही हो गया! और शायद हम भी!
इनमें से एक से पूछा गया कि आप किस बात से इनकार करते हो तो उसके पास कोई जवाब ही नहीं था। किसी को इनकार करने के लिए भी उसकी कोई तो परिभाषा होनी चाहिए। अगर हम यह कहते हैं कि परमेश्वर नहीं है तो शायद इस बात को मानने के लिए ज्यादा विश्वास की आवश्यकता होगी; उससे ज्यादा की कोई बड़ी शक्ति, सुपर पावर, स्त्रोत है जो सब कुछ उत्तम तरीके से नियंत्रण में रखता है।
हाल ही में हमने एक भयानक अपराध के बारे में सुना जो एक छोटी सी बच्ची के साथ हुआ। इतने सारे देवी देवताओं को पूजने वाले देश में भी ऐसा हो सकता है! समाज में ना बलात्कार कम हुए और ना बुराई। कुछ लोग यह कहना पसंद करेंगे कि इसमें ना ही किसी विशेष धर्म को बुरा मान सकते हैं ना ही किसी के विश्वास को, यह तो बुरे व्यक्ति की सोच है। मैं इस बात पर जोर देना चाहती हूँ कि परमेश्वर तो पवित्र है, बुराई से नफरत करने वाला और दंड देने के भी योग्य है; लेकिन यह हमारी ही कमी है कि हम उस अगम्य ज्योति से दूर हो गए हैं जो हमारे काले दिलों के अंधेरे को मिटा सके। केवल रोशनी ही अंधेरे को मिटा सकती है।
हम सब को परमेश्वर की बेहद जरूरत है। पाप, अपराध, धोखा, टूटे दिल, टूटे परिवार, युद्ध, बीमारियां इन सब चीजों ने हमारा जीवन दुखों और चिंताओं से ग्रस्त कर दिया है। हम डर में रहते हैं। हम विचलित और अनिश्चित जीवन बिता रहे हैं; पता नहीं कि कल किस नई चीज का सामना करना पड़ जाए। हम ऊपरी तौर पर चोला धारण कर मुस्कुरा सकते हैं कि सब कुछ ठीक है पर गहराई में हम जानते हैं कि हमें उस सर्व सामर्थी व्यक्ति की जरूरत है जो सभी अनिश्चितताओं के लिए एक अंतिम उत्तर हो।
किसी ने सच ही कहा है, “अकल बादाम खाने से नहीं आती; धोखा खाने से आती है!” और हर इंसान को ऐसा अनुभव ज़रूर हुआ है कि किसी अपने ने ही चोट पहुंचाई हो। तो इस स्थिति में क्या इंसान या कुछ और भरोसे के लायक है? शायद मोक्ष और मुक्ति पाने के लिए तो कभी नहीं!
मेरा भगवान या आपका भगवान, मंदिर वाला ईश्वर या चर्च वाला, दिया जलाएं या कैंडल, उपवास मंगल को या बुध को। 1 दिन रखूं या 40 दिन। और यह सब कब तक? वास्तव में आपका कौन और क्या मार्गदर्शन कर रहा है? मेरा मानना है कि परमेश्वर व्यक्तिगत होना चाहिए। हो सकता है कि बचपन से ही आप किसी चीज का पालन करते आ रहे हो और यह मान लिया है कि यही आपका भगवान है। पर आप यह कैसे कह सकते हो कि वही सच्चा भगवान है जो आपको मुक्ति और मोक्ष दिला सकता है? और उनका क्या जिनके माता-पिता दो अलग-अलग धर्मों का पालन करते हो, वह कौन सा धर्म अपनाएंगे? कुछ लोग धन, नौकरी या बिजनेस में सफलता मिलने पर या मनोकामना पूरी होने पर किसी एक भगवान के पीछे हो लेते हैं। आपका विश्वास केवल सच्चाई के बलबूते पर ही होना चाहिए। व्यक्तिगत अनुभव, तथ्यों को समझ कर और व्याख्याओं का सही मतलब निकाल कर किसी ठोस नींव पर आधारित होना चाहिए।
बाइबल में हम त्रिएक परमेश्वर की तस्वीर देखते हैं: एक परमेश्वर लेकिन तीन व्यक्तित्व; परमेश्वर पिता, पुत्र – यीशु मसीह और पवित्र आत्मा। परमेश्वर ने हर तरह से कोशिश की इंसान से रिश्ता जोड़ने की। पहले अपने दूत और संदेश देने वाले के जरिए से हम से बात की। फिर यीशु मसीह स्वयं स्वर्ग से पृथ्वी पर आए, और आज यीशु मसीह के स्वर्ग जाने के पश्चात उसने अपनी पवित्र आत्मा हमारे बीच में छोड़ी है।
यह एक प्रसिद्ध मिथ्य है कि यीशु मसीह ईसाईयों के या फिर गोरों के परमेश्वर है। यह बात सच नहीं है। बाइबिल का सत्य और इतिहास की गवाही यह प्रकट करती है कि केवल यीशु मसीह ने जगत के समस्त लोगों के पापों के प्रायश्चित के लिए जान दी, तीसरे दिन फिर से जी उठे और स्वर्ग गए। मनुष्य के लिए मुक्ति का मार्ग तैयार करने के लिए यह अनिवार्य था कि यीशु मसीह जो स्वयं परमेश्वर है मनुष्य का रूप लेकर आए।
यीशु मसीह ने कभी कोई पाप नहीं किया। वह प्रेम रखने वाला, दया करने वाला, क्षमा करने वाला और चंगा करने वाला परमेश्वर है। वह मानव के लिए मुक्ति का द्वार है। पर कहानी यहाँ समाप्त नहीं होती क्योंकि यीशु मसीह ने यह वादा किया है की वो वापस आएंगे! और यही हमारी सबसे बड़ी आशा है! मोक्ष, मुक्ति, जन्नत पाने की और स्वर्ग में जाने की इच्छा हम सबको है; पर यह संभव नहीं है जब तक कि पापों की क्षमा ना मिले। आज यीशु मसीह उद्धार और अनंत जीवन मुफ्त में देता है।
“जीवन की शुरूआत, जीवन का अर्थ, नैतिकता और हमारा अंत” यह चार मूल बातों का सही रीति, सच्चाई, सरलता से और बुनियादी कड़ियों को जोड़कर सिर्फ बाइबल ही प्रस्तुत करती है!”
आप इन सवालों का जवाब ढूंढने में हम से सहायता ले सकते हैं। आज ही हमसे बात करें।चलिए हमारे साथ इस नयी मंज़िल पे।
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