क्या कभी ऐसा हुआ है की प्यार के बदले आपको नफरत मिली है? क्या आपकी देखभाल और सेवा भाव को ठुकराया गया है? दिल छोटा न करें, आप अकेले नहीं हैं।
क्या कभी सही काम करने के बावजूद भी आप पर ऊँगली उठायी गयी है? क्या सच्ची बात बोलने के लिए भी आपने कोई कीमत चुकाई है? क्या नैतिक रूप से सही होने के बाद भी आपको दोषी ठहराया गया है और आपने अपने आस पास सबको अपने खिलाफ पाया है? निराश न हों, आप अकेले नहीं हैं।
जीवन के हर पहलू में ईर्ष्या, नफरत और तिरस्कार सहने के बाद इंसान टूट सा जाता है। क्या आपको भी औरों ने ठुकराया है? क्या आपको कभी न कभी नाकारा गया है? धीरज रखिये आप अकेले नहीं हैं।
कोई है जो आप ही की तरह इन सभी मुश्किलों से गुज़रा है। लेकिन उसने इन हालातों से भी जीत हासिल की है। वह आपकी आशा है और आपकी मदद कर सकता है।
कई बार हमारे अपने ही हमें धोखा देते हैं। या फिर हमारे करीबी और प्रियजन ही हमें समझ नहीं पाते। हमारी क्षमता को अपनों के द्वारा ही नकार दिया जाता है। हमारे नेक इरादों को वो ही लोग गलत समझते हैं जिनके लिए हमने बहुत से बलिदान दिए हैं। अक्सर ऐसे अनुभव हमारे मन को कठोर बना देते हैं। और हम अपने आप को अकेला और कमज़ोर पाते हैं।
लेकिन, कोई है जो आपसे ये वादा करता है की वो आपको कभी नहीं छोड़ेगा और न कभी त्यागेगा।
इस संसार में अपने वादे और अपनी बात पर स्थिर रहने वाले लोग मिलना एक कल्पना के समान है। पर वो, अपने वादे से कभी नहीं मुकरता।
इनकी असल अहमियत जानने के लिए ये ज़रूरी है की आप इन वचनों को पढ़ें, समझें, और विश्वास के साथ अपनाएं।
पवित्र बाइबिल हमें शब्द यानि वचन के बारे में कुछ इस तरह उजागर करती है।
“आदि में शब्द था। शब्द परमेश्वर के साथ था। शब्द ही परमेश्वर था। यह शब्द ही आदि में परमेश्वर के साथ था। दुनिया की हर वस्तु उसी से उपजी। उसके बिना किसी की भी रचना नहीं हुई। …..”
और यीशु की बात करें, तो ये बातें और वचन बहुत ही स्पष्ट रूप से हमारे जीवन की परिस्थितियों से उनके समानता का वर्णन करती हैं।
वह आपके, मेरे और हम सभी के पापों से मुक्ति पाने का एक मात्र ज़रिया बना। ऐसा करने के लिए यीशु ने क्रूस पर लटक कर हमारे लिए अपनी जान क़ुर्बान की। और फिर, तीसरे दिन वह जी उठे, अपने विश्वासियों को उन्होंने दर्शन दिए, और फिर जीवित ही स्वर्ग में उठा लिए गए, यह वचन देते हुए की वो हमारे लिए वापस आएँगे। और वो हमारे लिए एक सहायक, एक सच्चा दोस्त छोड़ के गए हैं, जिसे हम पवित्र आत्मा के नाम से जानते हैं।
यीशु ने ऐसा इसलिए किया ताकि हम सब अनंत जीवन पा सकें। ताकि संसार और जीवन से मिलने वाला दर्द आपको नष्ट न कर पाए। बल्कि, आप किसी भी परिस्थिति में जीत हासिल कर सकें। और क्रूस पर यीशु के दिए गए बलिदान की वजह से कोई भी निराशा आपके जीवन पे हावी न हो पाएगी।
वह इस दुनिया में आया आपको एक भरपूर जीवन देने के लिए, और क्रूस पर मौत को उसने गले लगाया आपको अनंत जीवन देने के लिए। और पवित्र बाइबिल के द्वारा अनेक सीख और वचन दिए आपके विश्वास को मज़बूत और स्थिर करने के लिए।पर ये वचन आपके विश्वास के बगैर पूरे नहीं हो सकते।
पवित्र आत्मा के द्वारा यीशु आपको आपके बनाने वाले से मिलाना चाहता है और आपके जीवन में बहुत से अद्भुत कार्य करना चाहता है।तो क्या आप यीशु में विश्वास रखते हुए उसे अपने जीवन में आने की अनुमति देंगे? यदि आप यीशु को और क़रीब से जानना चाहते हैं तो हमसे सम्पर्क करें।
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