क्या अच्छे कार्य करने के बाद भी मैं पाप कर रहा हूँ? मैं किसके विरोध में पाप करता हूँ? मैं भगवान से क्षमा कैसे माँगू? क्षमा करने के क्या लाभ हैं?
यह एक सच्चा कथन है कि जीवन में सबसे कठिन चीज़ों में से एक है किसी ऐसे व्यक्ति को क्षमा कर देना जिसने हमें दु:ख दिया हो। और जब हम ख़ुद ग़लती करते हैं तो हम भी यही आशा करते हैं कि दूसरा हमें माफ़ कर दे। हमने यह बहुत सुना है कि क्षमा कर देने से मन हल्का हो जाता है लेकिन क्षमा करना तभी संभव है जब क्षमा माँगी जाए। कुछ लोग माफ़ी नहीं माँगते और न ही इस बात का उनको एहसास होता है, और यह बात सही नहीं लगती।
अगर आप समझते हैं इस बात को, कि हमें लोगों से अपनी ग़लती के लिए क्षमा पाना ज़रूरी है तो आप इस बात से भी इन्कार नहीं कर सकते कि हमें पवित्र परमेश्वर से अपने पापों की क्षमा माँगनी है
अगर इन दो सवालों का जवाब ‘ना’ है, तो आज आपको इन बातों को समझना ज़रुरी है।
पाप केवल हत्या या चोरी नहीं बल्कि एक ऐसा असाध्य रोग या हमारी प्राकृतिक प्रवृत्ति है जो मनुष्य से हर वो छोटा-बड़ा ग़लत काम करवाता है जो परमेश्वर के ख़िलाफ़ है। हम पाप करने से गुनाहग़ार नहीं बनते बल्कि हम जन्म से ही पापी हैं इसलिए ग़ुनाह करते हैं। हम सबने पाप किया है और पवित्र परमेश्वर से दूर हो गए हैं।
1. लगातार ग़लती करने पर अपने आप को दोषी पाते हैं और इससे बाहर आने के लिए जूझते रहते हैं।
2. अपने ग़लत कार्यों को ढकने के लिए आप हमेशा अच्छे काम करते रहते हैं।
3. आप बार-बार वही पाप करते हैं जो नहीं करना चाहते हैं फ़िर भी आप उन्हें दोहराते हैं।
4. परमेश्वर के साथ आपका कोई निजी सम्बन्ध नहीं रहता।
5. दूसरे लोगों के साथ आपका सम्बन्ध तनाव से भरा रहता है।
हम में से बहुत लोग अपने पापों की क्षमा के लिए अच्छे काम करते हैं, दान-पुण्य करते हैं। बहुत लोग अपने शरीर को कष्ट देकर भी अपने पापों की क्षमा माँगते हैं। कुछ लोग यह मानते हैं कि अच्छा कर्म करने से हमारे सारे पाप धुल जाएँगे। अच्छे कर्म से अगले जन्म में हमें कम दु:ख भोगना पड़ेगा। हमें हर जन्म में बेहतर होते जाने का मौका मिलेगा और फ़िर अन्त में हमें हमारे सारे पापों से मुक्ति मिल जाएगी और हम सिद्ध हो जाएँगे।
मन्दिर, मस्जिद, चर्च या गुरुद्वारे में जाकर मोमबत्ती जलाना, प्रार्थना करना, दुआ करना, फूल चढ़ाना, तीर्थ-स्थान जाना, ग़रीबों को खाना खिलाना ऐसे कई चीज़ हर धर्म में, पापों की क्षमा के लिए की जाती हैं। हर धर्म पाप के बारे में बताता है और हर किसी की ये कोशिश रहती है कि परमेश्वर से अपने पापों की क्षमा मिल जाए और उससे मेल हो जाए। इसी को लेकर हमारे मन में कुछ सवाल रहते हैं, जैसे कि :-
1. क्या मैं वास्तव में स्वर्ग पहुँच जाऊँगा?
2. क्या मैं सच में उतने अच्छे काम कर रहा हूँ कि मेरे सारे बुरे कर्म ढक जाँए?
3. क्या मैंनें अपने पाप करने की इच्छा पर विजय पाई है या फिर मैं बार-बार इसी दल-दल में फँसता चला जा रहा हूँ?
परमेश्वर के वचन बाइबिल के अनुसार यीशु मसीह के द्वारा ही परमेश्वर से हमें अपने पापों की क्षमा मिलती है। उनके द्वारा ही हमें पापों से मुक्ति मिलती है और मरने के बाद स्वर्ग में हमें अनन्त जीवन मिलता है।
क्योंकि पाप का वेतन, आत्मिक मृत्यु है या परमेश्वर से अलग होना है। बाइबिल के अनुसार परमेश्वर ने हम से इतना प्रेम किया कि यीशु मसीह को हमारे पापों के लिए क्रूस पर मरना पड़ा ताकि हम और आप परमेश्वर के करीब आ पाँए।
परमेश्वर की क्षमा पाने के लिए हमें उनसे माफ़ी माँग कर यीशु मसीह को हमारे जीवन में मुक्तिदाता के रुप में ग्रहण करना होगा।
परमेश्वर पिता हमसे प्रेम करता है और हमें क्षमा करता है।
परमेश्वर का पुत्र, प्रभु यीशु मसीह हमें पापों से मुक्ति देता है।
परमेश्वर की आत्मा हमें पाप से लड़ने में शक्ति देता है।
इस बारे में और जानने के लिए और अपने पापों की क्षमा पाने के लिए आप हमसे सम्पर्क कर सकते हैं।आओ हमारे साथ इस नयीमंज़िल पे!
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