“मर्द बन”, “अपना इम्प्रेशन मचो दे!”, “मर्द को दर्द नहीं होता”, और रणवीर सिंह की फ़िल्म का ये फ़ेमस डाइयलोग तो सभी ने सुना होगा “मेरी मरदानगी के बारे में आप गाँव की किसी भी लड़की से पूछ सकती हो.. अच्छी रिपोर्ट मिलेगी।”
क्या बॉलीवुड और patriarchy यानी पितृसत्ता समाज हमें मरदानगी के बारे में सब कुछ सही बताते हैं? बचपन से लड़कों को ये ही एक बात “मर्द बन” किसी ताने की तरह बार बार बोली जाती है! इस मरदानगी की होड़ में क्या लड़के अपनी पहचान खो सकते हैं?
मरदानगी क्यों इस समाज की धारणा पर टिकी हुई है? क्यों पितृसत्ता समाज में आदमी और लड़कों के लिए कुछ नियम बना दिए जाते हैं जिनका उन्हें पालन करना होता है तभी वो “मर्द” कहलाएँगे? ऐसी उम्मीदें उनके व्यवहार को भी बदल देती हैं।
– मर्द को कभी दर्द नहीं होता।
– मर्दो को बहुत गुस्सा आता है और उनको अपने गुस्सा को दिखाने का पूरा हक़ है।
– परिवार में मर्दो की भूमिका केवल कमानेवाले की है।
– पिता की अपने बच्चों के प्रति ज़िम्मेदारी सिर्फ पैसा देकर परवरिश करने की है बाकि सब माँ की ज़िम्मेदारी है।
– असली मर्द वो है जो अपनी रक्षा कर सके।
– मर्द का नेचर हिंसात्मक होता है।
इस तरह की कई बातें को हम मरदानगी समझ बैठते हैं।
बचपन से मुझे कहानियाँ सुनने का और मूवीज देखने का बहुत शौक था खास तौर पर एक्शन फिल्में! जो भी पिक्चर मुझे बहुत अच्छी लगती थी तो मैं उससे प्रभावित हो कर अपने आप को उस पिक्चर का हीरो समझने लगता था। मेरे बात करने का स्टाइल और चलने का ढंग बिलकुल उस फिल्म के हीरो की तरह हो जाता था। कई बार मैं इंतज़ार करता था की कभी मेरी किसी से लड़ाई हो और मैं उस हीरो की तरह लड़ाई करूँ और डायलॉग्स बोलूँ। बस यही मेरे लिए मर्दानगी थी। कितनी बड़ी गलत-फ़हमी थी मेरी………..
पर ऐसा नहीं की सिर्फ फिल्में देख कर हम मर्दानगी के बारे में ऐसी गलत धारणा बना लेते हैं। इसकी ज़्यादा तर वजह हमारी परवरिश और समाज में सिखाए जाने वाली गलत बातों और सोच से होता है।
अगर हम मर्दानगी को वास्तविकता में परिभाषा देखें तो हमें मर्दानगी के निर्माता से जानना पड़ेगा। यदि आप पुरुष हैं तो आपको उनके विचार में गहरी दिलचस्पी होगी।
– बाइबिल हमें बताती है कि आदमी और औरत को ईश्वर की छवि में बनाया गया है (उत्त्पत्ति 1 : 26 -27 ), और ईश्वर ने हर एक इंसान को मूल्यवान और सम्मान के योग्य बनाया है। पुरुष और औरत शारीरिक रूप से, मनोविज्ञानिक रूप से और भावनात्मक रूप से बहुत अलग हैं। औरत के साथ दुराचार करना जैसे शिक्षा करने से रोकना, यौन शोषण या नागरिक अधिकारों का हनन, ईश्वर के सिद्धांतो का उलंघन है। “मर्दानगी औरतों का आदर करने में है।”
– आदमी को अपने जीवन के अलग अलग क्षेत्रों पर अधिकारी बनने के लिए बनाया गया था। बाइबिल स्पष्ट रूप से बताती है की लीडर वह है जो प्यार से, त्याग की भावना के साथ, बिना किसी स्वार्थ के दूसरों को सही दिशा सिखाये।
– कई आदमियों के लिए, हम जो कहते और करते हैं, उसके बीच एक बड़ा फर्क है। इसलिए ज़रूरी है की हम जो कहते हैं उसको पूरी ज़िम्मेदारी के साथ पूरा करें। असली मर्द वो है जो अपनी ज़िम्मेदारी को अच्छे से निभाए।
– मर्दानगी अपने परिवार की सुरक्षा करना और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने में भी है। एक पति / पत्नी और परिवार को नुकसान से बचाने के लिए, आध्यात्मिक और शारीरिक दोनों तरह से आदमी के लिए यह स्वाभाविक होना चाहिए।
– मर्द को दर्द नहीं होता एक बहुत गलत धारणा है। आदमी के पास भी एक नाज़ुक दिल है जो चोट लग जाने पर या किसी के दिल दुखाने पर रो भी सकते है। ईश्वर के सामने रोने से हमारी कई समस्याएं हल हो सकती हैं।
“मरदानगी धोती और मूछों में ना होवे है.. मरदानगी जिगर में होवे है” दुनिया को ऐसे मर्दों की ज़रुरत है जो दिखावटी रूप से मर्दानगी न दिखाए, ना ही समाज में दिए गए गलत सुझावों से चले, पर मर्दानगी के असली मकसद को पूरा कर सके। ये एक दिल की बात है जो कमिटमेंट से पूरी होती है। असली मर्द अखंडता, साहस, और सभी परिस्थितयों में सही करने के लिए हमेशा तैयार रहता है। और अगर आप इस ग़लत धरना से संघर्ष कर रहे हैं और आपको मदद की जरुरत है तो आप नयी मंज़िल से बात कर सकते हैं।
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