ज़िन्दगी में सबसे कठिन क्या होता है? IIT क्रैक करना, बॉस से तारीफें सुन्ना, बीवी को खुश करना या फिर उसे माफ़ करना जिसने हमें दुःख पहुँचाया हो? आईये जानते है..
साल 1999 में एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। यह कहानी है डॉक्टर ग्रैहम स्टैंस की, एक ऑस्ट्रेलियन मिशनरी जिन्होंने परिवार सहित, ओडिशा (Odisha) में कुष्ट रोग से पीड़ित लोगों का इलाज और गरीबों की सहायता करना अपने जीवन का मक़सद बना लिया था। पर हालातों ने ऐसा मोड़ लिया कि जब एक रात डाक्टर ग्रैहम और उनके दो छोटे बच्चे अपनी जीप में सो रहे थे, तब 50 आदमियों की भीड़ ने, बेरहमी से उनकी गाड़ी को आग लगाकर, उन तीनों मासूमों को मरने छोड़ दिया। जब पुलिस ने अपराधियों को फ़ासी देने का निर्णय लिया, तो उनकी बीवी ने एक ऐसी बात बोली जो सभी के मनों में घर कर गयी,
“मैंने हतियारों को माफ कर दिया है और मेरे मन में कोई कड़वाहट नहीं है, क्योंकि क्षमा से चंगाई मिलती है और हमारी भूमि को घृणा और हिंसा से चंगाई की जरूरत है।”
ऐसा प्यार और ऐसी माफ़ी हमारी चेतना से परे है। इस जीवन का सबसे कठिन काम है, माफ़ करना। और सिर्फ उसे नहीं जो आपसे गिड़-गिड़ाकर माफ़ी मांगता हो, बल्कि उसे जिसे शायद अपनी गलती का एहसास भी न हो। हम आये दिन ऐसे बहुत से पाप करते हैं, जिसका प्रायश्चित तो दूर हमें उनका एहसास तक नहीं होता। पर यीशु हमारी निर्बलता और कमज़ोरियाँ समझता है, और क्योंकि वह हमसे बेशुमार मोहोब्बत करता है। उसने हमारे पापों का भार अपने सर लेकर, खुदको क्रूस पर क़ुर्बां कर दिया। जो मौत हमारे हिस्से की थी, उस मौत को येशु ने ख़ुशी ख़ुशी गले लगाकर हम सबको माफ़ किया।
अगर आप उसकी इस मोहोब्बत को और करीब से महसूस करना चाहते है, तो हमसे बात करें।
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