इस बढ़ती महंगाई में घर का सही पर्सनल बजट कैसे बनाएँ। ख़ुद को और अपने परिवार को बनाएँ सुरक्षित और अपनी लाइफ़ को बनाएँ आसान। आइए यह भी जाने के परमेश्वर हमारी कैसे मदद करते हैं हमारे जीवन के इस क्षेत्र में।
रुपये का मोल है, बाकि सब झोल है, जीवन की गाड़ी भँवर में है, बड़ा प्रॉब्लम है भईया…क्योंकि आमदनी अठ्ठनी, खर्चा रुपईया।
बड़ी परेशानी है। दिन पर दिन महंगाई बढ़ती जा रही है लेकिन उसी तेज़ी से इनकम नहीं बढ़ती। जब सरकार देश का बजट रिलीज़ करती है तो हम ज़रूर उस पर टिपण्णी या निंदा करते हैं। पर क्या उसी जोश से हम अपने पर्सनल बजट या घर के बजट की प्लानिंग करते हैं?
हमारी सालाना/महीने की आमदनी और उसको व्यवस्थित रूप से खर्च करने के तरीके को पर्सनल बजटिंग कहते हैं।
“सीज द डे, माई फ्रेंड। पहले इस दिन को पूरी तरह जियो, फिर चालीस के बारे में सोचना”
चुनाव हमारा है की हम अपना पैसा समझदारी से खर्च करें या लापरवाही से पूरे महीने की तनख्वाह 10 दिन में ही खत्म कर दें। पर्सनल फाइनेंस से बजट का तालमेल बिठाएं या लापरवाह होकर अपना पैसा ख़र्च करें।
मेरा एक दोस्त ऐसी मस्त मौला जिंदगी जी रहा था। सैलरी मिलने पे घूमना-फिरना, महंगे कपड़े, जूते और परफ्यूम लेना, अकसर रेस्टोरेंट्स में खाना उसके शौक थे। 10-12 दिन में सैलरी खत्म होने पर मल्टीप्ल क्रेडिट कार्ड्स का इस्तेमाल करना उसकी आदत थी। वो ऐसा सिर्फ दोस्त बनाने और अपना स्टेटस ऊँचा दिखाने के लिए करता था। धीरे धीरे वो बड़े क़र्ज़े (डेब्ट ट्रैप) में फँस गया और क्रेडिट कार्ड्स का बिल चुकाना नामुमकिन हो गया। उससे बचने के लिए वो आत्महत्या (suicide) के बारे में सोचने लगा।
जब मुझे उसके ऊँचे लाइफस्टाइल का राज़ और मौजूदा हालत का पता चला तो मैंने उसे परमेश्वर के बारे में बताया।
मति 11:28 “हे थके-माँदे, बोझ से दबे लोगो, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें सुख चैन दूँगा।” बाइबिल में लिखा है की दुनिया के बोझ से थका और दबा हुआ हर वो इन्सान जो पूरे विश्वास के साथ प्रभु के पास सहारे के लिए आयेगा, ईश्वर उसका सहारा बनेगा।
बाइबिल की मदद और मेरे चर्च के बड़ों की फाईनेनशियल सलाह से अब मेरा दोस्त बिलकुल ठीक है और समझदारी से अपना जीवन बिता रहा है।
मेहनत की कमाई है – उसे एन्जॉय जरुर भी करें। फ़िज़ूल खर्च और कंजूसी के बीच की फाइन लाइन को पहचाने।
हमें ईश्वर ने बनाया है और हमारे जीवन की हर एक चीज़, घर–परिवार सब ईश्वर की देन है। हमारी आय या इनकम भी ईश्वर का आशीर्वाद है।
लूका 16:10 “जो थोड़े में सच्चा है, वो ज्यादा में भी सच्चा है: और जो थोड़े में अधर्मी है वो बहुत में भी अधर्मी है।”
बाइबिल की इस आयत का मतलब है की अगर हम अपनी थोड़ी सी इंकम में ईमानदार और समझदार हैं तो एक बड़ी सैलरी मिलने पर भी हम उसे संभाल सकेंगे। लेकिन अगर अपनी छोटी इंकम को नासमझी से खर्च करते हैं तो आमदनी कितनी ही कितनी बढ़ जाये, हमेशा कम ही लगेगी क्योंकि हम खर्च सँभाल नहीं पा रहे।
अगर इस विषय में अधिक जानकारी या सलाह चाहते हैं तो बेझिझक हमसे बात करें। आओ चलें एक नयी मंजिल पे!
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