मैं जब छोटा था तो स्कूल में मेरा एक दोस्त था जो मेरा पड़ोसी भी था। वो शरारती भी काफ़ी था और उसका पढ़ाई में भी मन नहीं लगता था। उसके पापा बहुत अच्छे थे पर उन्हें ग़लत बात पर ग़ुस्सा बहुत तेज आता था। उसकी हर रोज़ स्कूल से शिकायतें आती थी जो उसकी बहन हमेशा छुपा लिया करती थी। और मेरे दोस्त को उसके पापा के ग़ुस्से से बचाने के लिए उसकी ममी और बहन झूठ बोल कर या उसकी ग़लतियाँ छुपा कर उसे बचा लेते थे। मेरे दोस्त की ममी और बहन को उसे बचा कर ऐसा लगता था कि उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है और वो उससे बहुत प्यार करती हैं। देखते ही देखते मेरे दोस्त को ऐसा लगने लगा कि वो झूठ बोलकर लाइफ़ में कुछ भी हासिल कर सकता है।
कॉलेज में पापा से सिगरेट पीने के लिए, दोस्तों के साथ घूमने फिरने के लिए, लड़कियों को इम्प्रेस करने के लिए झूठ बोलकर पैसे लेना, जब शादी हुई तो बीवी से झूठ और धीरे धीरे उसके छोटे छोटे झूठ कब बड़े हो गए उसे खुद भी नहीं पता चला और उसकी ग़लतियों का भयानक और डरा देनेवाला भुगतान उसके परिवार को करना पड़ा।
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