“आज मेरा पर्स चोरी हो गया, पता नहीं मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है ! “
“मेरी जेठानी को थायराइड हो गया, शायद उसकी किस्मत में यह लिखा था।”
” वह तो कब से अपने बाप के घर में कुंवारी बैठी है शायद कुंवारा रहना उसकी किस्मत में लिखा है।”
” मेरे बॉस ने मुझे आज नौकरी से निकाल दिया मेरी तो किस्मत ही खराब है। “
शायद मेरी किस्मत में यही लिखा या मेरी किस्मत ही खराब है। यह दोनों लाइने हम हिंदुस्तानियों की जिंदगी में बड़ी आम है। क्योंकि कई बार हम सारा इल्ज़ाम अपनी किस्मत पर लगा देते हैं तो कई बार आस-पड़ोस के लोग सारी गलती आपकी किस्मत पर थोप देते हैं।
जी नहीं। आपकी किस्मत आपकी खुशी तय नहीं करती। आप तय करते हैं। यदि आप गरीबी में पैदा हुए तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं पर यदि आप यह निर्णय ले चुके हैं कि आप पूरी जिंदगी गरीबी में ही बिता देंगे और यह सोच रहे हैं कि मेरा दादा भी गरीब था, मेरा बाप भी गरीब था, शायद मैं भी गरीब ही रहूंगा तो ऐसे में किस्मत को दोष देना गलत होगा।
यह आपके निर्णय पर निर्भर करता है। क्या आप जानते है कि आपका निर्णय चुनौतियों के बावजूद भी आप की परिस्थितियों को बदल सकता है।
यदि आप लंबे समय से किसी परेशानी के साथ संघर्ष कर रहे हैं; दुख तकलीफ़ का सामना कर रहे हैं तो याद रखें वह परेशानी, वह संघर्ष पूरा जीवन चलता नहीं रहेगा। इस बात पर ध्यान दें जैसे खुशी आपके जीवन के हर पल में नहीं रहती उसी रीति से दुख भी आपके जीवन के हर पल में नहीं रहता।
खुशी, तकलीफ़, संघर्ष, मातम, दुख, चिंता, कामयाबी, सफलता, यह सारी चीज़े आपके जीवन में आती है और चली जाती हैं और यह सब चीज़े मिलकर आपको जीवन का अनुभव देती हैं जो आपको एक बेहतर इंसान बना सकती हैं यदि आप चाहे तो।
आप खुद ही सोचिए किसके जीवन में संघर्ष नहीं है, किसके जीवन में पैसे की दिक्कत नहीं आती, किस इंसान के जीवन में परेशानी नहीं आती पर यह आप पर निर्भर करता है कि ऐसी स्थिति में आप अपने आप को कैसे संभालते हैं और दृढ़ खड़े रहते हैं और इस परिस्थिति का कैसे सामना करते हैं या फिर आप वो इंसान है जो सारा दोष अपनी किस्मत पर थोप देता है और हिम्मत नहीं करना चाहता अपनी परिस्थिति को बदलने के लिए।
क्या आप जानते है कि यह साइकोलॉजीकल और मनोवैज्ञानिक तथ्य बताते हैं कि इनसान जैसा विश्वास करता है वो वैसा ही बन जाता है। यदि आप यह विश्वास करते हैं कि आपकी किस्मत में दुख ही लिखा है तो खुशी के समय मे भी आपको यही डर लगा रहेगा की यह खुशी आप से छीन न ली जाए और हक़ीक़त में आपने अपनी ” खुशी का पल ” दुख के डर में गवाँ दिया होगा। ऐसी ग़लती आप न करें।
आप अपना विश्वास किस्मत पर से हटाकर अपने ऊपर लाए और यह विश्वास करें कि आप इस परिस्थिति को बदलने की ताकत रखते हैं और इस परिस्थिति को आप बदल देंगे और इस विचारधारा के साथ उस परिस्थिति को बदलने के ऊपर कार्य करें, इससे आपकी परिस्थिति अवश्य बदलेगी।
याद रखें कि जिंदगी आसान नहीं है इसलिए उसके हर एक अनुभव के लिए तैयार रहें। जिंदगी के सारे दिन खुशी से भरे नहीं होंगे इसलिए निराश न हो। जिंदगी के बाकी रंगो को अनुभव करे और कोशिश करे इन अनुभवों से सिखने की ताकि आप एक बेहतर इंसान बने।
इस जीवन रूपी समुद्र में ख़ुशियों की लहर आए या गम की लहर यह हमारे हाथों मे तो नहीं है पर निराशा में न डुबकर, अपनी जिंदगी के सही निर्णय लेकर, अपनी सही प्राथमिकताओं में स्थिर रहकर आप इसे बढ़ोतरी की तरफ जरूर लेकर जा सकते हैं इसलिए आप सही चुनाव करना आपके हाथ में है।
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