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मैं कौन हूं? क्या है मेरा अस्तित्व और मेरी पहचान?

मैं कौन हूँ? क्या है मेरा अस्तित्व और पहचान?

जीवन

मैं कौन हूं? क्या है मेरा अस्तित्व और मेरी पहचान?

सिर्फ एक मुट्ठि मिट्टी या थोड़ी सी जमीन है मेरा हिस्सा? कौन हूं मैं? मेरी आत्मा का मूल्य क्या है? क्या है इसकी परिभाषा? क्या है मेरा आत्म-मूल्य? क्या है मेरा true self? मेरी पहचान क्या है? मैं किस बात पर अपने अस्तित्व की सही पहचान की नींव रखूँ?

अस्तित्व: मैं कौन हूँ? जानिए कौन है आप?

इस गंभीर रहस्य को समझने के लिए मैं आपको एक काल्पनिक चरित्र का उदाहरण देना चाहती हूँ। मान लीजिए ‘आरव’ नाम का एक बच्चा है। आरव थोड़ा बड़ा हुआ तो स्कूल गया, फिर कॉलेज। आरव की नौकरी लग गई और फिर शादी हो गई। कुछ जीवन सुरक्षा की पॉलिसी भी ले ली। आरव रिटायर होकर जिंदगी के आखिरी दिनों का आनंद उठा रहा है।

आरव बूढ़ा हो गया है और अपने मृत्यु की कगार पर है और एक दिन आरव के शव का अंतिम संस्कार भी हो गया। आप क्या सोचते हैं?  आरव कौन था?  एक बच्चा, एक नाम, एक पति, एक पिता, या फिर सिर्फ मुट्ठी भर मिट्टी?

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अस्तित्व की परिभाषा: पहचान की खोज

कई संत, गुरु और महापुरुष इस सवाल का जवाब देने की कोशिश करते हैं। कई धर्म और धार्मिक पुस्तक में भी इंसान के अस्तित्व की परिभाषा की गुत्थी सुलझाने की कोशिश की गई है। रोज आप पर बम चलाए जाते हैं कि, “आप अपने आपको समझ नहीं पाए, “अपने अंदर के इंसान या आत्मा को जागृत करें”, “जिस चीज़ को आप पसंद करते हो वैसे आप हो”, “आप केवल एक प्राणी हो जिसका विवेक है”,“ज्ञान पाने के लिए अपने, मेरा और मैं को अलग कर दो”। यह सब सुनकर इंसान गड़बड़ाएगा नहीं तो क्या होगा!!

क्या इनमें से कोई भी पूरे विश्वास से कह सकते हैं कि उनके जीवन की अंतिम यात्रा कहां समाप्त होगी? या फिर अगर मानो मैं जान भी लूं कि मेरा अस्तित्व क्या है तो कोई मुझे यह बताए उसके बाद की मैं उस ज्ञान का क्या करूं! तपस्या हल नहीं! धर्म सभाओं में बैठना हल नहीं!

तो कौन बता सकता है, मैं कौन हूँ?

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