बच्चे एक छोटे पौधे की तरह होते है। जैसे हम उनकी देखभाल करें वैसे वह बढ़ते है। अगर हम उनकी परवरिश अच्छे से करें तो उनका जीवन भी बेहतर होता है। सिर्फ शारीरिक ही नही पर मानसिक विकास भी अच्छे से होता है।
करोना/कोविड के दौरान अगर किसी पर ज्यादा असर पड़ा है तो वह हमारे बच्चों पर। उनकी जो जीवनशैली थी वह पूरी तरह बदल गयी। हमने ऐसा कभी सोचा भी नही होगा। पहले उन्हे स्कूल जाने को मिलता था, अपने दोस्तों के साथ खेलना, बहार घूमने जाना, यह सब अभी बन्द हो गया और उनमें डर की भावनाएँ आने लगी हैं। यह आप सभी ने नोटिस किया होगा कि सोशल मीडिया से करोना की कुछ गलत अफ़वाहें भी उनमें डर पैदा करती हैं। जो सारी वास्तविक चीज़े थीं जो वह पहले जीते थे अब वह एक रूम के अंदर सीमित हो गयी हैं। हम जानते है यह सारी चीजें हम उनकी सुरक्षा के लिए ही कर रहे है। पर क्या इतना काफी है? शायद नही। पर मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना जरूरी है।
बाइबल में यीशु मसीह हमसे कहते हैं “डर मत मैं तुम्हारे साथ हूँ “ और वह यह भी कहता हैं कि “बच्चों को मेरे पास आने दो उन्हें मत रोको”।
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