यह असामान्य कोशिका वृद्धि से संबंधित बीमारियों का एक समूह है। कैंसर के होने पर शरीर के अन्य भागों में इसके फैल जाने की संभावना होती है। कई मेडिकल केसेज़ में इसके मरीज़ जल्दी ठीक नही होते हैं क्योंकि इसके लक्षणों का पता देर से चलता है। सर्वाइकल, ब्लैडर, कोलोरेक्टल, स्तन, ब्रेन, एसोफैगल, पैंक्रियाटिक, बोन, ब्लड, इत्यादि; कैंसर के विभिन्न प्रकार होते हैं।
अक्सर सामान्य रोग के लक्षण दिखने पर लोगों को कैंसर की संभावना दिखाई देती है जिसके कारण कैंसर फोबिया होता है। कैंसर चाहे कोई भी स्टेज या प्रकार का हो, ये रोग अपने नाम के साथ डर भी पैदा करता है। दर्द का डर, जीवन के अंत का डर, अपनों को खो देने का डर। और ऐसे में शारीरिक पीड़ा के आलावा इंसान का मन कई सवालों और भावात्मक सोच से भी गुज़रता है। वह कुछ इस तरह के सवालों के जवाब ढूंढ़ना चाहता है,
“मैं ही क्यों?”
“क्या मैंने अपनी ज़िन्दगी पूरी तरह से जी ली है? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या पूरा हो चूका है”?
“अगर ये कैंसर जानलेवा निकला तो मेरे चले जाने के बाद मेरे परिवार का क्या होगा?”
चाहे आप युवराज सिंह, ताहिरा कश्यप, या सोनाली बेंद्रे जैसे सेलिब्रिटीज की तरह एक कैंसर सर्वाइवर (cancer survivor) हैं, या आप को बस कुछ ही समय पहले अपने जीवन में कैंसर की मौज़ूदगी का पता चला है। हर भय से उभरकर एक नयी ताकत, एक नयी शुरुआत की ज़रुरत दोनों ही हालातों में अनिवार्य है।
कल हो न हो, आनंद, द फाल्ट इन आवर स्टार्स (The fault in our stars) जैसी कुछ फिल्म्स के ज़रिये हम कुछ समय के लिए सहानुभूति, उत्तेजना, या मन को हल्का कर देने वाला मनोरंजन बटोर सकते हैं, पर मानसिक रीती से हिम्मत जुटाने के लिए अक्सर हमें खुद ही अटल प्रयास करना पड़ता है। ज़िन्दगी के मुश्किल समय में अक्सर हमारे सगे सम्बन्धी और दोस्तों का प्यार ही हमें डटे रहने की हिम्मत देता है।
ऐसी परिस्तिथियों में अगर कोई कैंसर के रोगी और उनके परिवार, दोनों को ही अपने प्रेम से सामर्थ और अनुग्रह दे सकता है तो वो है, यीशु मसीह। सर्जरी (surgery), कीमोथेरेपी (chemotherapy), कैंसर ट्रीटमेंट (cancer treatment), दवा, शारीरिक एवं मानसिक पीड़ा, हस्पताल के बीच सच्ची राहत और शांति केवल यीशु मसीह ही दे सकते हैं।
हम यहाँ किसी सकरात्मक सोच, या किसी पॉजिटिव एनर्जी (positive energy) की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि उस प्रभु की बात कर रहे हैं जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर है।
यीशु, एक अद्भुत कार्य करने वाला परमेश्वर है और केवल वो ही हैं जो एक टूटे हुए ह्रदय को अपनी सामर्थ से जोड़ कर नया सा बना सकता है। यीशु मसीह किसी भी तरह के खालीपन को भर सकते हैं। और, वो आपसे एक रिश्ता रखने की, और आप के जीवन में आने की अनुमति चाहते हैं।
यीशु द्वारा मिलने वाले अनंत जीवन की ज़रुरत हर मनुष्य को है। इंसान अपने जीवन के किसी भी दौर पर हो, फिर चाहे लाइफ की कोई स्टेज हो या कैंसर की, इस धरती पर जीवित रहते हुए एक नए जीवन को पा लेना हर आत्मा की ज़रुरत है।
एक और सच्ची घटना से हमें ये पता चला की सोनिया (name changed) जो की एक कैंसर सर्वाइवर हैं, और यीशु को पहले से ही अपना प्रभु मानती थीं, उन्होंने कैंसर के रोग के दौरान परमेश्वर से ये नहीं पूछा, “मैं, ही क्यों?”, बल्कि ये पूछा की,”परमेश्वर, मेरी इस परिस्तिथि के ज़रिये आप क्या करना चाहते हैं?”। उनका कहना था की, “मुझे ऐसा महसूस हुआ की मेरे कन्धों से कोई बड़ा भार उठा लिया गया है, अब मुझे भविष्य और अपने आने वाले कल की चिंता नहीं है।”
उन्होंने यीशु में अपना विश्वास रखा और चँगायी पायी और आज वो अपने परिवार के साथ एक सुखी जीवन जी रही हैं और खुद का NGO भी चला रही हैं। हम चाहें किसी भी हाल में हों, यीशु हमें भरपूर जीवन की आशीष से संतुष्ट कर सकता है। क्या आप यीशु की ओर अपना हाथ बढ़ाएंगे? ऐसा करने के लिए ‘नयी मंज़िल’ की पूरी टीम आपकी सहायता कर सकती है। संकोच न करें!
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