वर्ल्ड विज़न के वर्ष 2017 में किए गये एक सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में हर दो में से 1 बच्चा शारीरिक या यौन शोषण का शिकार होता है। ये आँकड़े चौकाने वाले हैं।
अगर बूढ़े लोगों की बात करें तो 64 प्रतिशत वृद्ध लोग आर्थिक शोषण का शिकार होते हैं। एक अन्य खबर के मुताबिक, घर में काम करने वाली महिलायें अक्सर शोषण का शिकार होती हैं। यहाँ तक की अब लोग अपने घर में, अपने परिवार के लोगों या जान पहचान वालों के हाथों शोषण का शिकार होते हैं।
कई बार पीड़ित इतने मासूम होते हैं कि उनको इस बात का आभास ही नहीं होता कि उनका शोषण हुआ है। ये इसलिए क्योंकि इन मामलों में अक्सर जान पहचान वाले ही अपराधी होते हैं और इस बात को समझने के लिए ज़रूरी है कि हम शोषण का मतलब और उसके प्रकार को समझें।
अगर आपके साथ कोई व्यक्ति (अजनबी या जान पहचान वाला) इस तरह से पेश आता है जिस से आपको शारीरिक, भावनात्मक या यौन संबंधी तकलीफ़ होती है तो आप शोषण का शिकार हैं।
शोषण में शामिल हैं:
ये ज़रूरी है कि आप इस बात को समझें कि आप शोषण से बाहर निकल सकते हैं और इससे जो दर्द और तकलीफ़ से आप हर रोज़ जूझते हैं, आप उससे भी आज़ादी पा सकते हैं। बाइबिल के परमेश्वर यीशु मसीह हैं जो आपके दर्द को समझते हैं और बाइबिल हमें बताती है कि उन्होंने हमारे दर्द और तकलीफ़ को अपने ऊपर ले लिया और उनके पास हमारे लिए एक अच्छे और ख़ुशहाल जीवन की आशा है।
शोषण अधिकतर तीन प्रकार के होते हैं:
1. शारीरिक शोषण – जैसे मारना-पीटना, ज़ोर से हाथ पकड़ना, चांटा मारना आदि।
2. भावनात्मक शोषण – कमज़ोरी का फ़ायदा लेना, किसी काम के लिए भावनात्मक तौर पर मजबूर करना, भावनाओं का इस्तेमाल करना।
3. यौन शोषण – बिना अनुमति के या किसी काम के बदले यौन संबंध बनाना, डरा-धमका कर यौन संबंधों के लिए बाध्य करना।
इस तरह का शोषण किसी भी परिवार या संबंध में हो सकता है। पति-पत्नी, माँ-बेटे, पिता-बेटी, दोस्तों या सहकर्मियों के बीच, गुरु-शिष्य, बॉस और कर्मचारी आदि।
कई बार लोग सालों तक शोषण सहते रहते हैं। वे या तो उस संबंध विशेष को तोड़ना नहीं चाहते या उनको लगता है कि वे अकेले हो जाएँगे। अपने दोस्त या पति या परिवार के सदस्य को माफ़ करना अच्छी बात है लेकिन माफ़ कर देने के बाद भी शोषण सहते रहना आपके लिए बहुत ग़लत है। ज़्यादातर शोषण करने वालों की दिमागी हालत ऐसी नहीं होती कि वे आपकी माफी का सम्मान कर सकें। उन्हे शोषण करने से एक अजीब सी खुशी या सुकून महसूस होता है।
अगर आपको इन में से कुछ संकेत अपने किसी भी पारिवारिक या सामाजिक संबंध में दिखाई दे तो आपको तुरंत उस रिश्ते को तोड़ देना चाहिए:
1. बेईमानी या झूठ:
वो व्यक्ति आपसे बार बार छोटी बातों के लिए भी झूठ बोलता हो या बातें छुपाता हो।
2. कोई समर्थन नहीं देना:
आपको किसी रिश्ते में हमेशा समर्थन देने की अपेक्षा की जा रही हो लेकिन आपको खुद कोई समर्थन नही मिल रहा हो। आप ही इस रिश्ते में बहुत अधिक समय या उर्जा लगाते हैं, और उसके बदले में आपको कुछ नहीं या बहुत कम मिलता है।
3. बेवफ़ाई:
अगर आपके जीवन साथी के संबंध किसी और से हैं, वो आपको धोखा दे रहे हो। ये एक से अधिक बार हुआ है तो दोबारा भी होगा ही। क्या उन्होने खुद बेवफ़ाई के बारे में आपको बताया या आपने उनको पकड़ा? ये एक बार हुआ या आपके एक बार माफ़ करने के बाद भी उन्होने आपको धोखा दिया?
4. बुरा या नकारात्मक व्यवहार:
अगर आपके पार्टनर आपको कमज़ोर समझते हों और बार-बार आपको आपकी कमज़ोरियों का एहसास दिलाते हों। वो आपको दूसरों के सामने नीचा दिखाने की कोशिश करते हों – ये बातें एक अच्छे रिश्ते में नहीं होतीं।
5. बार बार व्यवहार बदलना:
अगर वो व्यक्ति बहुत मूडी है और आपके साथ तभी अच्छा व्यवहार करता है जब उसके लिए फ़ायदेमंद हो, तो ये शोषण है। थोड़ा बहुत मूडी होना आम है। लेकिन अक्सर यदि ये व्यक्ति अपना व्यवहार बदलता रहता है, शिकायत करता रहता है या बस अपनी भावनाओं की चिंता करता है तो ये आपके लिए सही नहीं है।
6. हिंसा:
किसी भी रिश्ते में किसी भी प्रकार की हिंसा किसी भी कीमत पर सहन नहीं करना चाहिए। एक रिश्ते में या तो प्यार हो सकता है या हिंसा।
7. पहले जैसा प्यार या व्यवहार ना होना:
अगर आपको ये लगने लगे कि आप दोनों के बीच पहले जैसी भावनायें नहीं रहीं या आप एक दूसरे से दूर हो रहे हैं तो इस रिश्ते को ख़तम करने का समय आ गया है।
शोषण को ठीक तरह से समझने के बाद ही आप शोषण से बच सकते हैं। अगर आप भी शोषण से गुज़र रहें है तो चुप ना रहें। मदद के लिए आवाज़ उठायें।
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