क्या है मेरी पर्सनालिटी? क्या मेरा व्यक्तित्व मेरे चाल चलन पर निर्भर करता है? क्या मैं अपनी पर्सनालिटी को बेहतर बना सकता हूँ?
लोगो को देख कर हम अकसर कहते हैं – उसकी पर्सनालिटी कितनी स्ट्रोंग है या फिर बहुत डल पर्सनालिटी है उसकी। क्या पर्सनालिटी रूप रंग और शारीरिक प्रेजेंटेशन को कहते हैं? क्या है पर्सनालिटी का सही अर्थ?
पर्सनालिटी शब्द लैटिन भाषा के “परसोना” शब्द से आता है जिसका मतलब है मास्क या मुखौटा। इससे कॉनक्लुड करें तो किसी की पर्सनालिटी फिजिकल अपीयरेंस (physical appearance) पर डीसाईंड करना सही होगा। लेकिन व्यक्तित्व केवल शारीरिक नहीं, बेहविअर पे भी निर्भर करता है।
साइकोलॉजी के हिसाब से व्यक्तित्व इन्सान के बेहविउर/behaviour पर निर्भर करता है और मनोवैज्ञानिक रूप से इसके 3 प्रकार है
अंतर्मुखी (इन्त्रोवेर्ट) – ऐसे लोग बुद्धिमान, क्रिएटिव और शांत प्रकार के होते हैं। इन्हें अकेले और शोर शराबे से दूर रहना पसंद होता है। अपने मन की बात कहने में इन्हें काफी संकोच रहता है। इनके कम पर काफी पक्के दोस्त/रिश्ते होते हैं।
बहुर्मुखी (एक्स्त्रोवेर्ट) – एक्स्त्रोवेर्ट व्यक्तित्व के लोग खुशमिजाज होते हैं। इन्हें बातें करना, दोस्त बनाना, घूमना फिरना काफी पसंद है। यह अकेले रहना पसंद नहीं करते। इनमे सेल्फ कॉन्फिडेंस अच्छा होता है।
उभय्मुखी (अम्बिवेर्ट) – इस पर्सनालिटी के लोग इन्तोवेर्ट और एक्स्त्रोवेर्ट का मिक्स होते है और समय माहोल के हिसाब से इन दोनो पर्सनालिटी का ट्रेट दिखाते है। जैसे किसी एडवेंचर सपोर्ट पे जाना (एक्स्त्रोवेर्ट) लेकिन ग्रुप में नहीं अकेले (इन्त्रोवेर्ट)।
– माता पिता का स्वाभाव
– घर/परिवार का माहौल
– स्कूल/कॉलेज का प्रभाव
– जीवन का अनुभव (life experiences)
– समाज या जियोग्राफी (जैसे गाँव के लोग कुछ शर्मीले संकुचित हो सकते है उनके मुकाबले शहर में रहने वाले थोड़ा बोल्ड होंगे)
“हे यहोवा, तूने मेरी समूची देह को बनाया। तू मेरे विषय में सब कुछ जानता था जब मैं अभी माता की कोख ही में था। हे यहोवा, तुझको उन सभी अचरज भरे कामों के लिये मेरा धन्यवाद, और मैं सचमुच जानता हूँ कि तू जो कुछ करता है वह आश्चर्यपूर्ण है।” – भजन संहिता 139:13-14
ईश्वर ने हमें अच्छा और यूनिक बनाया है, फिर भी हम में से कई लोग परेशान रहते है की हम सुन्दर नहीं, अच्छे या काबिल नहीं। ऐसी सोच हमें उदास रखती है और ईश्वर के दिए ही अच्छे काम/परफॉरमेंस से रोकती है।
क्यों ना अपना व्यतित्व विकास करें? : Personality development tips
– खुश और कॉंफिडेंट रहिये
– इन्फेरिओरीटी छोडिये, नेगेटिव ख्याल और बातों से दूर रहिये। खुद को ईश्वर की नज़र से देखिये
– हेल्थ पे फोकस करें, डिसिप्लिन और रूटीन मेन्टेन करे, समय से काम करने से मन और सेहत दोनों स्वस्थ होते है
– साफ सुथरे तरीके से रहे और तैयार हो
– बॉडी लैंग्वेज क्या ध्यान रखें – औरों से बात करते समय ऑय कांटेक्ट बनाए रखें, प्लीजेंट या खुशनुमा फेस रखे, स्माइल करें। ऐसा करने से लोग आपके साथ कमफरटेबल फील करेंगे
– हँसी मजाक करें, हॉबी का होना जरुरी है इससे आप खुद को बिज़ी और मनोरंजन कर सकते हैं
– नए लोगो से मिले, डिसकशन में हिस्सा लें
– दूसरों को सराहना करें। अगर कोई बात ठीक न लगे तो धीरज से अपनी बात समझाए
– गुस्से और इमोशंस पर कंट्रोल करे
– एक्टिव रहिये, इनिशिएटिव लीजिये, इंतज़ार मत करिए की कोई बोलेगा तब आप हेल्प कर देंगे
ऐसे कुछ बातें अपनाने से आपकी पर्सनालिटी और भी निखर सकती है। पर्सनालिटी डेवलपमेंट के बारें में और जानने के लिए हमसे बात करें। आओ चले नयी मंजिल पे।
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