जीवन
असफलता का सामना कैसे करें?
हम सभी को life में असफलता का सामना करना पड़ता है पर क्या हम उससे हार मान जाते हैं या फिर से उठ कर आगे बढ़ते हैं? अगर आप भी असफलता का सामना कर रहे हो और ये नहीं समझ में आ रहा कि कहाँ से फिर से शुरुआत की जाए तो ये आपके लिए है।
हार और जीत – असफलता का सामना
एक पुराने फ़िल्म का एक गाना जो मुझे बेहद पसंद है, “ज़िंदगी की यही रीत है, हार के बाद ही जीत है।” हाँ, यह सच है कि जीवन में हार और जीत तो लगी रहती है पर हमें हार का सामना कर के, हिम्मत ना हार के, फिर से प्रयास कर के आगे बढ़ना है क्योंकि ‘जीना इसी का नाम है।’
देश-विदेश में बहुत सारे सफल लोग हैं जिनके बारे में आपने पढ़ा और सुना होगा। अगर आप उनके बैक्ग्राउंड के बारे में पढ़ेंगे तो आप जान पाएँगे कि वे लोग जीवन में बहुत सारी असफलताओं को पार करके आज एक मुक़ाम पर पहुँचे हैं। वे निराश हुए होंगे पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने जीवन में संयम बनाए रखा। जिसका फल वह, उनके परिवार और उनसे जुड़े हार कोई आज भोग रहे हैं।
असफलता से जूझने की मेरी कहानी
एक बार मैं अपने जीवन में असफलता का सामना कर रही थी, तब मेरी एक आंटी ने मुझसे कहा था, “जीवन में हार बार सफलता को प्राप्त करना आसान नहीं है, मगर प्रभु के अनुग्रह से वो कठिन भी नहीं होगा।” फिर मैंने वही किया, अपनी सारी निराशाएँ और असफलताएँ प्रभु यीशु मसीह के हाथों में ड़े दिया और मैंने उनके कार्य को अपने जीवन में होते देखा।
बाइबिल में, फ़िलिप्पियों 4:13 में पौलुस कहता है, “जो मुझे सामर्थ देता है, उसमे मैं सब कुछ कर सकता हूँ।” परमेश्वर जो हमारा सृष्टिकर्ता है, उनके पास आए, उन्हें अपना मार्गदर्शक बनाए और वो आपकी निराशाओं को दूर करेंगे और आपको असफलताओं पर क़ाबू पाने में मदद करेंगे, फिर आप अपने जीवन में ख़ुशी और शांति को अनुभव कर पाएँगे।