क्या आप जानते हैं कि बच्चों के अच्छे पालन पोषण से उनका शारीरिक और मानसिक विकास होता है?! 1 से 12 साल की उम्र बच्चों के लिए बहुत ही महत्तवपूर्ण होती है और उनके पूरे जीवन को दिशा देती है। आइए जाने कुछ ऐसी बातें जो आपके बच्चों के पालन पोषण के लिए बहुत ज़रूरी है।
पति और पत्नी का रिश्ता बड़ा ही अलग अनुभव है पर जब उनके रिश्ते का परिणाम एक बच्चे का रूप ले लेता है तो यह रिश्ता और ज्यादा मज़बूत हो जाता है। माँ बाप का रिश्ता उन्हें एक नई और अनोखी मंज़िल की ओर ले जाता है। यह रिश्ता परमेश्वर के प्यार की परछायी है।
एक बच्चे को पालना, उसकी देखभाल करना उसे जिंदगी जीना सिखाना और यही नहीं इसके साथ-साथ उनकी ज़िद्द, शरारतें, झूठ बोलना, दूसरे बच्चों से लड़ाई झगड़ा करना, उनका बीमार पड़ना और आपका रात भर जाग कर उन्हें संभालना यह एक ही सिक्के के दूसरे पहलू हैं।
मां बाप पहले से ही उनकी जिंदगी सोच कर बैठ जाते हैं कि उनके बच्चे क्या करेंगे, क्या होंगे या नहीं होंगे और बहुत बार मां-बाप अपनी जिंदगी अपने बच्चों के ऊपर लागू करने के चक्कर में उनकी जिंदगी को खराब कर देते हैं।
बचपन मे जब मैं अपनी मम्मी के साथ बाहर जाती थी तो मैं चाहती थी कि मेरी मां हमेशा मेरा हाथ पकड़ के रखे। बहुत बार मेरी मम्मी मेरा हाथ नहीं पकड़ती थी और मेरे हाथ में अपने डुपट्टे की एक नोक दे देती पकड़ने के लिए।
इस बात से मेरे दिमाग में यह बात बैठ गई कि मेरी मम्मी मुझसे प्यार नहीं करती। मैंने कॉलेज तक इस बात को अपने अंदर रखा और यह बात मुझे अंदर ही अंदर खाती थी जब तक कि यह प्रभु यीशु मसीह ने मेरे मन को भीतर से चंगा नहीं किया। आप खुद सोच कर देखिए बचपन में हुई एक बात ने पूरी जिंदगी मुझे परेशान किया। यदि यीशु मसीह के द्वारा मुझे मेरे मन की चंगाई नहीं मिलती तो यह बात जीवन भर मुझे सताती रहती कि मेरी मां मुझसे प्यार नहीं करती।
एक अच्छे मां बाप होने के नाते आपको यह समझना होगा कि आपका बच्चा एक इंडिविजुअल है जिसके खुद के सपने हैं, खुद की पसंद ना पसंद है, खुद के डर है। अगर आप अपने बच्चे की इच्छाओ, उसके सपनो को नजरअंदाज करते रहेंगे तो आपका बच्चा अपनी जिंदगी में कभी आगे बढ़ नहीं पाएगा और दो तरफा दुनिया में उलझा रहेगा- एक आपकी और एक अपनी।
बच्चों को पालते पालते मां-बाप खुद भी बहुत सी चीजें सीख जाते हैं। इन्हें पालना और संभालना बहुत मेहनत का काम है और यह अनुभव उन्हें नम्र बना देते हैं, प्यार देना सिखा देता है, परवाह करना सिखा देता है।
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