पिछले कुछ दिनों पहले मेरे एक दोस्त की शादी हुई। इस लेख के लिए उसको हम गौरव नाम दे देते है। उसकी शादी काफ़ी धूमधाम से हुई। जिस लड़की से मेरे दोस्त की शादी हुई वह उसके साथ उसके ही कॉलेज में काम करती है। वो दोनों ही कॉलेज में प्रॉफ़ेसर हैं। लेकिन गौरव पिछले कुछ सालों से अपने स्टूडेंट्स की सेक्शूअल आयडेंटिटी (sexual identity) , सेक्स के बारे में सवाल और उनके पॉर्न की लत से चिंतित है। ‘सेक्स क्या है ?’, यह सवाल उसको काफ़ी बार उसके स्टूडेंट्स पूछते है।
लेकिन यह बात जानना ज़रूरी है कि यौन सम्बंध, शारिरिक वासनाओं को मिटाने का या कामुक इच्छाओं को पूरा करने का माध्यम नहीं। मेरे दोस्त को यह बात अपने स्टूडेंट्स को समझानी पड़ी कि शादी के बिना यौन सम्बंध बनाना ग़ैर-ज़िम्मेदारी का काम है और ये एक ऐसी मानसिकता को दर्शाता है जिसमें लोग यौन समबंध बनाने के लिए अपने से किसी दूसरे को सिर्फ़ एक वस्तु के रुप में इस्तेमाल करते हैं। सेक्स कोई खेल नहीं, जिसे जो चाहे, जैसे चाहे, जब चाहे, जिस किसी के साथ भी खेले।मतलबी ना बनिए!
चूंकि मेरा दोस्त एक टीचर है, उसे इस बात का अंदाज़ा हैै कि भारत में बच्चों को स्कूल या कॉलेज में सेक्स एजुकेशन (sex education) देना कितना ज़रुरी है। अक्सर इसके अभाव में बच्चे पॉर्न देख कर इसके बारे में जानने की कोशिश करते हैं और अपने मन में ग़लत धारणा बना लेते हैें। पॉर्न में दिखायी गयी अश्लील चीज़ों को बच्चे अक्सर प्यार के रुप में ग़लत समझ लेते हैं। पॉर्न आपके दिल के ख़ालीपन को नहीं भर सकता, ये एक वासना का अस्थायी आराम है। वह इसलिए क्योंकि सेक्स सिर्फ़ शारीरिक नहीं बल्कि आत्मिक, भावनात्मक और मानसिक हैं जो एक ज़िम्मेदारी के साथ आता है जिसमें एक परिवार और उसका वंश आगे बढ़ता है। पॉर्न एक आँखो-देखा वहम् है!
गौरव के एक छात्र ने उससे एक बार पूछा कि क्या वो किसी के साथ भी यौन सम्बंध बना सकता है? उसने इसका जवाब “ना” में दिया। उसने अपने स्टूडेंट को बताया कि सेक्स, सिर्फ़ शादी में, एक पुरुष के लिए सिर्फ़ अपनी पत्नी और एक स्त्री के लिए अपने पति के साथ ही सही या उचित है क्योंकि परमेश्वर ने सेक्स को इसलिए ही बनाया है…ताकि शादी में सेक्स के द्वारा स्त्री और पुरुष एक हो पाएँ और परमेश्वर और मनुष्य के बीच के प्रेम को दिखा पाए।
भारत में कुछ दिनों पहले ही समलैंगिक शादी के संबंधों को कानूनी मान्यता मिली।क्या यह सही है? आइये इस बात को समझें ।
यह आज एक सामान्य प्रश्न है जो कुछ लोग पूछते हैं कि, “मैं एक लड़का हूँ …मुझे लड़के पसन्द हैं? मैं क्या करुँ ?” या “मैं लड़की हूँ और मुझे लड़कियाँ पसंद है, मैं क्या करूँ?” मैं gay या lesbian हूँ। लिंग की तरलता को लेकर आज कल काफ़ी सवाल उठाए जा रहे है।
इस सवाल का जवाब इसी बात से दिया जा सकता है कि परमेश्वर ने सेक्स को बनाया ताकि शारीरिक तौर पर दो अलग-अलग लोग यानि, एक स्त्री और एक पुरुष एक दूसरे के करीब आकर एक हो पाँए, सेक्स बहुत ही पवित्र है और परमेश्वर जो प्रभु यीशु मसीह हैं, उन्होंने सेक्स को स्त्री और पुरुष के लिए सिर्फ़ शादी के डायेरे में ही बनाया है। सही मायने में सेक्स, दो अलग-अलग लोगों का मिलन है जिसमें दोनों एक दूसरे में अपनी पूर्ण पहचान पाते हैं…यह परमेश्वर और हमारे लिए उसके प्यार को दर्शाता है जिस प्यार को पा कर हम परमेश्वर में अपनी पहचान को ढूँढ पाते हैं। एक समलैंगिक संबंध कितना ही मज़बूत या ख़ुशहाल क्यों न हो, वह अधूरा है और शादी के मक़सद को पूरा नहीं कर पाता। यदि आप अपनी sexual identity के लिए संघर्ष कर रहे हैं तो आप यीशु मसीह से प्रार्थना करें और वो आपको जीवन में सही दिशा देंगे।
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