प्यार

कैसे लें हम सही फ़ैसले?

फ़ैसले और संघर्ष 

क्या ये शर्ट मुझ पर ठीक लग रही है?

मैं कब अपनी गाड़ी को गराज़ में भेजूँ?

क्या मुझे इस वेतन पर काम करना चाहिए?

अगर आपको भी हर छोटे या बड़े फ़ैसले लेने में परेशानी होती है तो यकीन जानिए ये बहुत आम बात है। आज हम सभी के पास इतने विकल्प मौजूद हैं की कोई भी छोटा निर्णय लेना भी बहुत मुश्किल हो गया है। ये भी हो सकता है कि आप उन लोगों में से हैं जिन्हें फ़ैसला या निर्णय लेने में हमेशा ही तकलीफ़ होती है। कोई बात नहीं। ये लेख आपके ही लिए है!

आप अकेले नहीं हैं

सबसे पहले मैं आपको ये कहना चाहती हूँ कि अगर आप सही फ़ैसला नहीं ले पाते हैं तो ये कोई चरित्र का दोष नहीं है। परमेश्वर ने हम सभी को अलग बनाया है, हम सभी का एक अलग व्यक्तित्व है, एक अलग शख़्सियत है।

बाइबिल कहती है –“तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा। मैं तेरा धन्यवाद करुंगा, इसलिये कि मैं अद्भुत रीति से रचा गया हूँ। “– भजन संहिता 139:13-14

जी हाँ! आपके जैसा कोई और नहीं है।

लेकिन इसका मतलब ये बिलकुल नहीं हैं कि ये सोचकर आप एक के बाद एक ग़लत फ़ैसले करते चलें जायें। किसी दिन तो आपको सही फ़ैसला करना सीखना ही होगा। आपका एक सही फ़ैसला आपके जीवन की राह बदल सकता है।

क्यों ना आज वो दिन हो?

कोई भी फ़ैसला करने से पहले ये ज़रूरी है की आप ये तय कर लें कि आप उस फ़ैसले से क्या पाना चाहते हैं? उस व्यक्ति, वस्तु, जगह के बारे में आपका इरादा क्या है?

इस फ़ैसले के क्या प्रभाव या परिणाम हो सकते हैं? इस फ़ैसले से कितने लोगों को बुरा लग सकता है? क्या आप उन प्रभावों को झेल सकते हैं? क्या आप उनके साथ जी सकते हैं?

अगर इस तरह के सवाल जवाब के बाद भी हल ना निकले और आप फ़ैसला नहीं ले पा रहे हैं तो आप किसी एक विकल्प की तरफ कदम बढ़ाएँ। आपका दिल साफ तौर पर आपके झुकाव की ओर इशारा करेगा।

मैं ज़रूरी फ़ैसले लेने के लिए यीशू मसीह से सलाह लेती हूँ। वही मेरा परमेश्वर है। मैं प्रार्थना में उसे ईमानदारी से अपने इरादे के बारे में बताती हूँ।

बाइबिल कहती है:

“हे ईश्वर, मुझे जांच कर जान ले! मुझे परख कर मेरी चिंताओं को जान ले!
और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, और अनंत के मार्ग में मेरी अगुवाई कर!”
(भजन संहिता 139: 23-24)

उसके बाद जब हम किसी विकल्प की ओर कदम बढाते हैं और वहाँ दरवाज़ा बंद होता नज़र आता है तो हमें परमेश्वर की इच्छा साफ़ तौर पर समझ आती है।

आपको हिन्दी फिल्म ‘चक दे इंडिया’ का वो आख़िरी सीन ज़रूर याद होगा।

पेनाल्टी शूटआउट।

विद्या शर्मा की ओर देखते हुए कोच कबीर ख़ान विरोधी टीम की स्ट्राइकर के हाव भाव पढ़ रहें हैं।

ये दायें ओर मारेगी, या ये बाई ओर मारेगी। नहीं ये बीच में हिट करेगी।

कोच कबीर ख़ान ने अपने अनुभव पर यकीन किया और शागिर्द विद्या ने अपने कोच की बात मानी, उन पर भरसो किया।

परमेश्वर भी हमारे कोच की तरह हैं। वे हमें सही निर्णय लेने के लिए रास्ता बताते हैं।

इस सच्चे ईश्वर को जानिए। वो आपको कभी निराश नही करेगा।

तो क्या है वह मुश्किल सवाल जो आपके दिल में है जिसका आप फैसला नहीं कर पा रहे हैं? शादी, नौकरी, पारिवारिक मुश्किलें, पैसा, बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड का मुद्दा या कोई और बात, हमसे बात कीजिये। आओ यीशु के साथ नयी मंज़िल पे चलें।

Share
Published by
Nirvi

Recent Posts

मुझे हर वक्त थकावट रहती है 

क्या आप बिना कुछ काम किए भी हर समय थका हुआ महसूस करते हो? कई…

1 week ago

मनोकामना पूरी होने के संकेत

आपने अपनी मनोकामना को पूरी करने के लिए क्या क्या किया है? हम अपनी मनोकामना…

2 months ago

आप प्यार और पैसे में से क्या चुनोगे?

प्यार के बिना ज़िंदगी का कोई मतलब नहीं है पर यह भी सच है कि…

5 months ago

क्या कर्म करने से मेरी क़िस्मत बदल सकती है?

“क़िस्मत का लिखा कोई नहीं मिटा सकता।” “ये तो नसीबों की बात है।” क्या हमारी…

8 months ago

अपने भविष्य की अच्छी योजना कैसे बनाएँ?

ये बात सच है कि "कल किसने देखा है" पर भविष्य की तैयारी और योजना…

8 months ago

ट्रेन डीरेलमेंट की दर्दनाक दुर्घटना

ट्रैन पटरी से उतरने की दुर्घटना में, घायल हुए 1000 से भी ज़्यादा लोग। इस…

11 months ago