दो बोल खूबसूरती के नाम
तेरे हुस्न की तारीफ मेरी शायरी के बस की नहीं….
तुझ जैसी कोई और कायनात में ही नहीं बनी….
तेरा मुस्कुराना देना जैसे पतझड़ में बहार हो जाये….
जो तुझे देख ले वो तेरे हुस्न में ही खो जाये….
दिल खुश हो जाता है यह शायरी सुनकर और मन होता है की काश! कोई हमारी तारीफ भी ऐसे ही शायरी या खूबसूरती पर कविता लिखकर करे।
हम सब खूबसूरत बनना चाहते हैं, बेहद सुन्दर दिखना चाहते हैं | पर क्यों? क्या कभी आपने यह सवाल खुद से किया है – आपको खूबसूरत अपने मन की ख़ुशी के लिए होना है या फिर कोई आपकी तारीफ करे इसके लिए? आजकल अकसर हम दूसरों के द्वारा अपनाएँ जाये और खुद को सुन्दर दिखा सके इस होड़ में लगे हैं पर क्या हम सुन्दरता और खूबसूरती के सही मायने समझते हैं?
आजकल हमने खूबसूरती को केवल ऊपरी या शारीरिक रूप से अट्रैक्टिव होने में सीमित कर दिया गया है। जैसे की:
· चेहरे का गोरापन
· पतला होना या स्लिम बॉडी शेप
· घने काले बाल
· अच्छी लम्बी हाईट
मार्केट में मिलने वाले ब्यूटी प्रोडक्ट्स लगाओ, ब्यूटी ट्रीटमेंट लो, हेयर ट्रीटमेंट लो और बन जाओ खूबसूरत। क्या वाकई बस यही है खूबसूरत होना या फिर खूबसूरती की यह परिभाषा हमारे मन में डाल दी गई है हमारे दोस्तों और आस पड़ोस के लोगो द्वारा। और दूसरों के ओपिनियन की वजह से हम हीन् भावना से झूझ रहे हैं और खुद को दूसरों की तुलना में कम सुन्दर समझते हैं।
मैंने कॉलेज के दिनों में फिट दिखने और स्टाइलिश ड्रेसेस पहनने के लिए काफी डाइटिंग की और एनोरेक्सिया (anorexia) का शिकार हो गई। इसकी वजह से मैं काफी कमज़ोर एवं बीमार रहने लगी और मुझे एक साल पढाई छोडनी पड़ी। मुझे खुद से शर्म आने लगी, खुद को बदसूरत के साथ फेलियर भी समझने लगी। उन दिनों मेरी एक दोस्त ने मुझे खूबसूरती की नयी परिभाषा बताई और मैंने खुद को परमेश्वर की नजरों से देखना शुरू किया। परमेश्वर ने मुझे सबसे अलग और खूबसूरत बनाया है। इस सच्चाई को जानकर अब मैं काफी खुश और कॉंफिडेंट रहती हूँ।
परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरुप में अपने जैसा बनाया और सृजा है और उसने हम सब को यूनीक और खूबसूरत बनाया है।
“और तुम्हारा सिंगार, दिखावटी न हो, अर्थात बाल गूंथने, और सोने के गहने, या भांति भांति के कपड़े पहिनना। वरन तुम्हारा छिपा हुआ और गुप्त मनुष्यत्व, नम्रता और मन की दीनता की अविनाशी सजावट से सुसज्ज़ित रहे, क्योंकि परमेश्वर की दृष्टि में इसका मूल्य बड़ा है।” 1 पतरस 3:3-4
बाइबिल की यह आयत बताती है की साज सिंगार, मेकअप, महेंगे कपड़े – यह सारी ऊपरी चीजें ढल जाएँगी पर हमारा मन और दिल हमेशा रहेगा। चेहरे को नहीं दिल को खूबसूरत बनाओ क्योंकि ईश्वर दिल को देखता है।
अगर आप भी खूबसूरत चेहरा बनाने की रेस में भाग रहे हैं या इस वजह से नेगेटिव इमोशंस/हीन भावना से गुजर रहे हैं तो रुकिये और अपना दिल और मन को सुन्दर बनाइये। चेहरे की रंगत तो समय के साथ ढल जाएगी लेकिन एक साफ और सच्चा दिल आपको हमेशा खूबसूरत बनाये रखेगा।
क्या तैयार हैं आप मन को खूबसूरत बनने के लिए? इस विषय में और जानकारी के लिए हमसे बात करे और चले खूबसूरती की एक नयी मंजिल पे!
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