दोस्ती की कहानियाँ- पहला भाग

दोस्ती ना हो तो जीवन बेजान है

मैं सोच रही थी अगर इस दुनिया में दोस्त न होते तो हमारी जिंदगी कितनी बेजान सी होती। फिर किसको हम अपने दिल की बात बताते? कौन मुसीबत के समय में फिर काम आता? किसको हमारे दिल के गहरे राज़ पता होते? शुक्र है उस ईश्वर का जिसने दोस्तो की आशीष हम इंसानों को दी है।

दोस्ती की कहानी 

यह कहानी है दो दोस्तों की, प्यार की, दोस्ती में बलिदान की, एक दूसरे को लेकर समर्पण की, उनका नाम है ” नाओमी और रूथ”। ये डोनो सास-बहु थीं। आइए सुने इनकी कहानी।

इस कहानी की शुरुआत यहां से हुई जब नाओमी अपने पति के साथ एक दूसरे देश में जाकर बस गई थी। वहां उसके दो बेटे हुए। जब दोनों बेटे जवान हुए तो उनकी शादी हुई। रूथ और ओपेरा नाओमी की बहुँए थी।

दुःख में साथ है दोस्ती

एक समय आया जब नाओमी का पति मर गया और कुछ समय के बाद उसके दोनों बेटों की भी मृत्यु हो गई। तब नाओमी ने यह सोचा कि वह अपने देश में वापस लौट जाएगी और अपनी दोनों बहुओं को अपने मायके वापिस भेज देगी ताकि वह दूसरी शादी कर ले और अपनी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ जाए। 

ओपेरा अपनी सास की बात मानकर अपने मायके वापस जाने के लिए तैयार हो गई पर रूथ   बहुत बार अपनी सास के मनाने के बावजूद भी वह न मानी क्योंकि रूथ अपनी सास से प्रीति रखती थी और इस क्लेश में उसको अकेले छोड़ना नहीं जाना चाहती थी इसलिए उसने अपनी सास को यह उतर दिया :

“तुम मुझसे यह विनती न कर कि मुझे त्याग या छोड़कर लौट जा क्योंकि जिधर तू जाए उधर मैं भी जाऊंगी जहां तू टिके वहां मैं भी टिकूँगी, तेरे लोग मेरे लोगों होंगे और तेरा परमेश्वर मेरा परमेश्वर होगा; जहां तू मरेगी वहां मैं भी मरूंगी और वही मुझे मिट्टी दी जाएगी यदि मृत्यु छोड़ और किसी कारण मैं तुझसे अलग होऊँ तो यहोवा मुझसे वैसा ही वरन उससे भी अधिक करें।”

दोस्ती विश्वास की 

जब नाओमी ने देखा कि रूथ उसके संग चलने को तैयार है तो फिर उसने उसे कुछ और न कहा। और वे दोनों नाओमी के देश वापस लौट गए। वहां पहुंचकर उसने अपनी सास से आज्ञा मांगी कि वह किसी खेत में काम कर ले ताकि वह दोनों के लिए कुछ कमा सके और उनका गुजारा हो सके। नाओमी ने देखा की रुथ उसका आदर करती है इसलिए नाओमी ने उसे खेत में काम करने की इजाजत दे दी। रूथ को यह ऐहसास था कि उसकी सास उस पर भरोसा करती है इसलिए वह प्रतिदिन खेत में काम करने को जाती रही।

एक दिन खेत के मालिक बोअज़ का ध्यान रूथ पर गया उसने देखा कि खेत में और भी स्त्रियाँ और जवान पुरुष काम करते है पर रूथ ने कभी भी पराए पुरुष की ओर ध्यान नहीं दिया और अपने चरित्र को उत्तम रखा है। 

सच्ची दोस्ती का इनाम 

बोअज़ ने उसके चरित्र और परिश्रम को देखा और उसे सराहा। उस देश का रीवाज़ था कि यदि किसी औरत का पति मर जाए तो वह उसके मरे हुए पति के कुटुंब में से किसी से विवाह कर सकती है ताकि उनका वंश आगे बढ़ता रहे।

नाओमी यह जानती थी कि रूथ जिस खेत में काम करती है वह बोअज़ का है और वह उनके कुटुंब का है। इसलिए नाओमी ने रूथ को बोअज़ के पास भेजा ताकि वह रूथ को शादी के लिए पसंद कर ले। क्योंकि रूथ के अच्छे चरित्र की चर्चा पूरे नगर में थी और बोअज़ भी उसके परिश्रम और चरित्र को सराहता था इसलिए उसने रूथ को अपना लिया और उससे कहा – हे बेटी यहोवा की ओर से तुझ पर आशीष हो क्योंकि तूने अपनी पिछली प्रीति पहले से अधिक दिखाई क्योंकि तू क्या धनी क्या कंगाल, किसी जवान के पीछे नहीं लगी।

क्योंकि मेरे नगर के सब लोग जानते हैं कि तू भली स्त्री है। और मैं तेरे कुटुंब का हूं इसलिए मैं तुझसे विवाह करूंगा। यह बात जब नाओमी को पता लगी की बोअज़ ने रूथ को अपना लिया है शादी के लिए तो वह खुशी से झूम उठी। बोअज़ ने कुछ समय के बाद रूथ से विवाह कर लिया और उनसे एक बेटा उत्पन्न हुआ। 

अच्छी दोस्ती का फल

दोस्ती अगर सच्ची हो तो उसका फल मीठा ही होता है यह था रूथ का अपनी सास को तकलीफ में ना छोड़ने का प्रतिफल कि उसके मरे हुए पति के कुटुब का एक जन उसे विवाह करने को मिला और नाओमी और रूथ को संभालने के लिए पुरुष मिल गया और उनका वंश भी बचा रहा। यह थी कहानी नाओमी और रूथ की सच्ची दोस्ती की। जहां रूथ नाओमी को इस संघर्ष में अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी वहां नाओमी भी रूथ को बोअज़ के हाथ विवाह में देने से न हिचकिचायी। और दोनों ने अपने जीवन मे शांति पाई। सच्चे दोस्त आखिर सच्चे ही होते है चाहे कुछ भी हो जाए।

कौन कहता है सास और बहु दोस्त नही हो सकते। नाओमी और रूथ की दोस्ती एक मिसाल है पुरी दुनिया के लिए। इनकी दोस्ती की कहानी दुनिया में आज अमर है।

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Nirvi

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